पंडवानी के सुर चिरैया-तीजन बाई

जब हमन नान्हे-नान्हे रहेन तब रेडियो म जइसे सुनन-“बोल व§न्दावन बिहारी लाल की जय” अतका सुनते साठ हमन जान डारन कि अब तीजन बाई के पंडवानी शुरू होवइया हे अउ रेडियो तिर बने चेत लगा के बइठ जात रहेन । हमन ला पंडवानी सुने म जतेक मजा आवय तेखर ले जादा मजा तीजन बाई के बोली-भाखा, अंदाज अउ पंडवानी गायन के शैली म आवय । पहिली दूरदर्शन में जब तीजन बाई के भाखा सुनन तब कोनो मेर रहितेन दउड़त आवन तीजन बाई ला देखे खातिर। ओखर रूप-रंग, पहिनावा-ओढ़ावा, गहना-गुरिया के संगे-संग ओजस्वी बोली अउ भाखा ला देख सुन के जम्मों देखइया मन देखते रहि जावय अउ सुनइया मन सुनते रहि जावय ।




सुनत-सुनत बेरा के पते नई चलय अइसन सुर अउ साज के मालकिन हमर छत्तीसगढ़ के बेटी तीजन बाई ला आज देस अउ बिदेस में अइसे कोन हवै जउन नई जानय। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला के गांव गनियारी में जनमें पंडवानी के पहिली महिला कलाकार, गीतकार, गायिका ला ओखर नना बबा ब§जलाल हर नानपन ले महाभारत के कथा ला कंठस्थ करवा डारे रहिस हावय। बाद में गुरू उमेंद सिंग देशमुख से अनौपचारिक शिक्षा लेहे के बाद लगातार कला में निखार आवत चले गिस। प्रसिद्भ रंगकर्मी हबीब तनवीर के संपर्क में आय के बाद तीजन बाई के पंडवानी हर अपन नवा रूप म लोकप्रिय होवत चले गिस। देस अउ विदेस के कई मंच में पंडवानी हर अपन जादू चलाय लागिस। हमर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर विश्व विद्यालय से डी. लिट. के मानद उपाधि से तीजन बाई ला सम्मानित करे गइस। भारत सरकार के द्वारा सन् 1998 में पù श्री अउ सन् 2003 में पù विभूषण से अलंक§त करे गइस। सन् 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार अउ सन् 2007 में न§त्य शिरोमणी सम्मान ले घलाव तीजन बाई के सम्मान करे गइस। अतका सम्मान पाए के बाद घलाव तीजन बाई में घमंड रत्ती भर नई हे।
वो हर आज घलाव अपन आप ला ठेठ गांव के रहइया आम निवासी के रूप में ही पसंद करथे। आज घलाव हमर छत्तीसगढ़ के आम आदमी के रूप में बोरे-बासी अउ पताल के चटनी खाना पसंद करथे। मनखे हर कतको तरक्की करय फेर अपन जनमभूमि ला कभू मत भुलावय यही उक्ति ला तीजन बाई चरितार्थ करथे। आज घलाव वो हर पांव म तोड़ा, लच्छा, बिछिया, हाथ म ऐंठी, ककनी कान म ढार, खिनवा गला म रूपिया, सूता नाक म फुल्ली कनिहा म कई लर के सुग्घर करधन पहिरना ही पसंद करथे। पंडवानी हर परधान अउ देवार जाति के द्वारा गाए जाने वाला गीत हरै। पंडवानी हर उॅखर परंपरा में शामिल गीत हरय। गोंड के उपजाति हरै देवार जउन कि घुमन्तु जाति हरय। तीजन बाई हर पंडवानी ला कपालिक शैली में गाथे। एक हाथ में तमूरा अउ दूसर हाथ में करताल धरे जब तीजन बाई हर मंच में अपन प्रस्तुति देथे तब सुनइया अउ देखइया मन देखते रहि जाथे।




तमूरा हर तो जइसे तीजन बाई के हाथ के हथियार आय। अपन ओजस्वी भाव-भंगिमा ले पंडवानी के अतेक सुग्घर प्रस्तुति ला देख के महाभारत के महा गूढ़ कथा हर ऑखी के आगू म घुमरे लगथे। तीजन बाई के प्रस्तुति हर कभू भीम के गदा, कभू अर्जुन के गांडीव, कभू दुशासन के भुजा त कभू दुरपति के केस बनके दर्शक के मन ला भावविभोर कर देथे अउ तन म अद्भुत शक्ति के संचार कर देथे। सरल भाव से आज घलाव तीजन बाई मंच म दर्शक मन से कहिथे-“सो भइया हम ठहरे निरक्छर, अंगूठा छाप” लेकिन तीजन बाई हर अपन गायन म कभू भी भूल-चूक नइ करय। कथा के तार ला नइ टूटे देवय। हिंन्दी टूटे-फूटे बोलथे । छत्तीसगढ़ी बोलथे अउ कहिथे-”भैया कौनो गलती होए तो माफ करना।“ अतेक सरल सुभाव के हमर भुइयां के मान बढ़इया हमर छत्तीसगढ़ के बेटी तीजन बाई ला भगवान सदा उत्तम स्वास्थ्य अउ दीर्घायु देवय अउ पंडवानी के सुग्घर प्रस्तुति दे के हमर छत्तीसगढ़ के नाम देस अउ विदेस में उॅचा करत राहय अउ बोल व¤न्दावन बिहारी लाल के जयकारा सदा गूॅजत राहय हमर यही शुभकामना उॅखर बर सदा रही।

रामेश्वर गुप्ता “राम” बिलासपुर

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